शुभ मुहूर्त किसी भी मंगल कार्य को सही वक्त और सही दिशा में करने की घड़ी को कहते हैं। वैदिक काल से ही हमारे देश भारत में यह मान्यता है कि यदि किसी कार्य को शुभ मुहूर्त पर किया जाए तो भविष्य में उसके बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं। हिंदू धर्म और स्नातन धर्म को मानने वाले लोगों के साथ यदि बिना उम्मीद के अर्थात आकस्मिक कुछ अच्छा होता है तो वह उस दिन को शुभ मानते है। इसी चीज से यह बात जाहिर होती है कि लोगों में शुभ दिन और शुभ मुहूर्त को लेकर कितनी गहरी आस्था है। अत: हमें अवश्य ही शुभ समय का चयन करना चाहिए।
शुभ मुहूर्त हमारे ग्रहों की चाल, नक्षत्रों और काल को देखते हुए निकाले जाते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल हमारे हर अच्छे-बुरे निर्णय को प्रभावित करती है। शुभ मुहूर्त निकालने के लिए तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण, नवग्रहों की स्थिति, मलमास, अधिकमास, शुक्र और गुरु अस्त, अशुभ योग, भद्रा, शुभ लग्न, शुभ योग तथा राहूकाल आदि का विशेष ध्यान रखा जाता है। चाहे बच्चों का कर्णवेध संस्कार हो, मुंडन संस्कार हो, अन्नप्राशन संस्कार हो, नामकरण संस्कार हो, विद्यारंभ संस्कार हो और या फिर विवाह और गृह प्रवेश हो, हर शुभ कार्य शुभ मुहूर्त पर कराने से सकारात्मक परिणाम देखे जाते रहे हैं।
हिन्दू धर्म में गुरु-पुष्य योग शुभ मुहूर्तों में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त कहलाता है। यदि गुरुवार को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में हो तो इससे पूर्ण सिद्धिदायक योग बन जाता है। जब चतुर्दशी सोमवार को और पूर्णिमा या अमावस्या मंगलवार को हो तो सिद्धिदायक मुहूर्त होता है। ऐसी मान्यता है कि इस योग में कार्य को संपन्न करने से फल जल्द प्राप्त होता है जिसका परिणाम भी बेहद अनुकूल रहता है। अर्थात ज्योतिषी दृष्टि से भी शुभ मुहूर्त में किए गए कार्यों का हमारे जीवन में बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है।
हर इंसान चाहता है कि वह जो भी कार्य करे वह सफल हो जिसका उसे लाभ ही मिले। इसी मंशा से व्यक्ति अपने शुभ कार्य के लिए मुहूर्त निकलवाता है। हमारे देश भारत में यह परंपरा है कि हर कार्य को शुभ मुहूर्त पर करने से उसकी सफलता में चार चांद लग जाते हैं। ये देखा गया हैं कि कार्य को मुहूर्तानुसार करने से मन में सकारात्मक भावनाएं आती हैं, कार्य के भविष्य में अच्छे परिणाम मिलने की उम्मीद होती है और वातावरण से नकारात्मक शक्तियां दूर होने के साथ बुरे प्रभावों से भी मुक्ति मिलती है। अगर सरल शब्दों में परिभाषित करें तो किसी अच्छे समय का चयन कर किसी कार्य का शुभारंभ ही मुहूर्त कहलाता है।
हिंदू वैदिक ज्योतिष विज्ञान के अनुसार हर कार्य की शुरुआत का एक नियमित और शुभ समय होता है। यदि उसे उसी समय पर किया जाए तो उससे अच्छे प्रतिफल के साथ शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि उस खास समय में ग्रह और नक्षत्र के प्रभाव से सभी नकारात्मक चीजें दूर चली जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यदि आप हमारे देश भारत का इतिहास उठाकर देखेंगे तो यहां देवी-देवताओं ने भी अपने शुभ कार्यों को मुहूर्तानुसार किया है। मुहूर्त का महत्व बताने के लिए शायद इससे बड़ी कोई बात नहीं होगी कि देवता स्वंय शुभ कार्यों को मुहूर्त के अनुसार करते आए हैं। ऐसे में आप समझ सकते हैं कि शुभ मुहूर्त की मांग क्यों की जाती है। प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में मुहूर्त को महत्व दिया जाता रहा है। ऐसी मान्यता है कि यदि शुभ कार्यों को करते वक्त यज्ञ और हवन का आयोजन किया जाए तो प्रतिफल काफी सकारात्मक होते हैं। यह तो आपको मानना ही पड़ेगा कि दुनिया में यदि अच्छी शक्तियां हैं तो बुरी शक्तियां भी हैं। ये दोनों ही शक्तियां हमारे आसपास रहती हैं। कई बार बुरी शक्तियां इतनी प्रबल होती हैं कि वह अच्छी और सकारात्मक शक्तियों पर हावी हो जाती हैं। ऐसे में मुहूर्त को निकालने का आशय इन बुरी शक्तियों के प्रभाव को ही कम करना होता है।
ज्योतिशास्त्र का कहना है कि कई बार शुभ कार्य को करते वक्त भारी विघ्न पड़ जाते हैं। जो कई बार जानलेवा भी साबित होते हैं। इन्हीं चीजों से बचने, वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा लाने और कार्य को सफल बनाने की मंशा से ही मुहूर्त निकाले जाते हैं। हमारे समाज में लोग आज भी मांगलिक कार्यों का शुभारंभ और सफलतापूर्वक संपन्न होने की कामना के लिए शुभ घड़ी का इंतज़ार करते हैं। हालांकि आजकल के लोग इन बातों को खोखला समझकर मन मुताबिक कार्य करने लगे हैं। लेकिन हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम अपनी संस्कृति, पुरातन और धार्मिक मान्यताओं को हर हाल में संरक्षित रखें।
हिंदू धर्म में भी हर छोटे से लेकर बड़े कार्य को मुहूर्त देखकर ही किया जाता है। ये माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में प्रारम्भ किया गया कार्य निर्विघ्न रूप से शीघ्र ही सम्पन्न होता है। यदि दुर्भाग्यपूर्ण कोई कार्य खराब भी होने वाला है तो मुहूर्त उसकी दिशा बदलकर उसमें कोई विघ्न नहीं पड़ने देता है।
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