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नवरात्रि 2020 - Navratri 2020: दिनांक और शुभ मुहूर्त

नवरात्रि (Navratri 2020) का त्योहार हिंदुओं के सबसे पवित्र व प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है। नवरात्रि में माँ दुर्गा व उनके नौं रुपों की पूजा की जाती है इसलिए इसे बेहद पवित्र त्यौहार कहा जाता है। यह पर्व साल में दो बार आता है जिसे चैत्र नवरात्रि और शरद नवरात्रि कहते है। नवरात्रि में लोग व्रत रखतें हैं। इस दौरान व्रत रखकर माँ के प्रति श्रद्धा भक्ति और विश्वास प्रकट किया जाता है।

नवरात्रि 2020 दिनांक और शुभ मुहूर्त

व्रत रखने के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है, ऐसा माना जाता है कि व्यक्ति रोज़ाना तरह-तरह के भोजन करता है जिसमें खट्टा, तीखा, मीठा सब तरह का खाना शामिल होता है। जिससे शरीर को कई तरह के नुकसान भी झेलने पड़तें हैं और कभी भी शरीर के भीतरी अंगों को आराम व सफाई करने का मौका नहीं मिलता। ऐसे में व्रत रखकर कुछ समय के लिए आंतरिक अंगों को अपना काम सुचारू रूप से करने के लिए समय दिया जाता है जिससे वह शरीर के भीतर जमे हानिकारक तत्वों को बाहर निकाल सके। इस समय सिर्फ उबला हुआ व बिना मिर्च मसाले का भोजन ही किया जाता है जिससे तेल व मसाले शरीर में जमा न हो सकें इससे शरीर के सारे अपशिष्ट पदार्थ या तो बाहर निकल जाते हैं या समाप्त हो जातें हैं व व्यक्ति शारीरिक एवं मानसिक रूप से बेहतर अनुभव करता है। नवरात्रों में व्रत रखकर शरीर और मस्तिष्क दोनों को स्वस्थ रखा जाता है जिससे सभी कार्यों में मन व मेहनत लगाई जा सके और ईश्वर के प्रति झुकाव और श्रद्धा बढ़ सके।

यह भी देखें: त्यौहार 2020

चैत्र नवरात्रि 2020

चैत्र नवरात्रि हिन्दू धर्म के मुख्य धार्मिक त्योहारों में से एक है इसमें मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। इन नौं दिनों में माता की पूजा अर्चना कर के घर मे खुशहाली, समृद्धि आती है दुख, परेशानियां दूर होती है, मानसिक शांति मिलती है।

चैत्र नवरात्रि 2020
नवरात्रि दिन 1 25th मार्च 2020 (बुधवार) -प्रतिपदा -माँ शैलपुत्री पूजा -घटस्थापना
नवरात्रि दिन 2 26th मार्च 2020 (गुरुवार) -द्वितीया -माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि दिन 3 27th मार्च 2020 (शुक्रवार) -तृतीया -माँ चंद्रघंटा पूजा
नवरात्रि दिन 4 28th मार्च 2020 (शनिवार) -चतुर्थी -माँ कुष्मांडा पूजा
नवरात्रि दिन 5 29th मार्च 2020 (रविवार) -पंचमी -माँ स्कंदमाता पूजा
नवरात्रि दिन 6 30th मार्च 2020 (सोमवार) -षष्ठी -माँ कात्यायनी पूजा
नवरात्रि दिन 7 31st मार्च 2020 (मंगलवार) -सप्तमी -माँ कालरात्रि पूजा
नवरात्रि दिन 8 1st अप्रैल 2020 (बुधवार) -अष्टमी -माँ महागौरी
नवरात्रि दिन 9 2nd अप्रैल 2020 (गुरुवार) -नवमी -माँ सिद्धिदात्री -रामनवमी
नवरात्रि दिन 10 3rd अप्रैल 2020 (शुक्रवार) -दशमी -नवरात्रि पारणा

व्रत रखने से घर व शरीर मे सकारात्मक ऊर्जा आती है। चैत्र नवरात्रि मार्च/ अप्रैल में मनाई जाती है।

चैत्र नवरात्रि 2020 के लिए घटस्थापना मुहूर्त

दिनांक घटस्थापना मुहूर्त अवधि
25 मार्च, 2020 (बुधवार) 06:18:56 से 07:17:12 तक 58 मिनट

नोट : दिया गया घटस्थापना मुहूर्त का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है।

शरद नवरात्रि 2020

शरद नवरात्रि को हिंदू धर्म के लोग अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मानते हैं इन नवरात्रों के बाद शरद ऋतु का आगमन हो जाता है इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।

शरद नवरात्रि 2020
नवरात्रि दिन 1 17th अक्टूबर 2020 (शनिवार) -प्रतिपदा -माँ शैलपुत्री पूजा -घटस्थापना
नवरात्रि दिन 2 18th अक्टूबर 2020 (रविवार) -द्वितीया -माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
नवरात्रि दिन 3 19th अक्टूबर 2020 (सोमवार) -तृतीया -माँ चंद्रघंटा पूजा
नवरात्रि दिन 4 20th अक्टूबर 2020 (मंगलवार)
-चतुर्थी -माँ कुष्मांडा पूजा
नवरात्रि दिन 5 21st अक्टूबर 2020 (बुधवार)
-पंचमी -माँ स्कंदमाता पूजा
नवरात्रि दिन 6 22nd अक्टूबर 2020 (गुरुवार) -षष्ठी -माँ कात्यायनी पूजा
नवरात्रि दिन 7 23rd अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) -सप्तमी -माँ कालरात्रि पूजा
नवरात्रि दिन 8 24th अक्टूबर 2020 (शनिवार) -अष्टमी -माँ महागौरी -दुर्गा महा नवमी पूजा -दुर्गा महा अष्टमी पूजा
नवरात्रि दिन 9 25th अक्टूबर 2020 (रविवार) -नवमी -माँ सिद्धिदात्री -नवरात्रि पारणा
नवरात्रि दिन 10 26th अक्टूबर 2020 (सोमवार)
-दशमी -दुर्गा विसर्जन

नवरात्रों में लोग माँ से घर परिवार व अपने जीवन में शुख शांति की कामना करते हैं और अपनी चिंताएं भूलकर माता की भक्ति में शांति महसूस करतें हैं। इस अवसर पर देश के अलग-अलग हिस्सों में धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जातें हैं। लोग अधिकतर शुभ कार्य इन नौ दिनों में ही करते हैं। नवरात्रि सिर्फ भारत में ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी मनाई जाती है।

नवरात्रि 2020: मान्यताएं

भारत में मनाए जाने वाले हर त्यौहार के पीछे कोई न कोई मान्यता छुपी होती है जिसके कारण वह त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रों को मनाने के पीछे भी एक ऐसी ही कहानी को माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार महिषासुर नाम का एक बेहद शक्तिशाली राक्षस था जो अमर होने की इच्छा रखता था इस इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा भगवान की कठोर तपस्या, की।महिषासुर की तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा ने उसे दर्शन दिए और कहा कि उसे अपने लिए जो वर चाहिए वह मांग सकता है तब महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। महिषासुर की यह मांग सुनकर ब्रह्मा ने कहा कि संसार में जो आया है उसे जाना ही होगा इसलिए जन्म, मरण को छोड़कर वह कुछ भी मांग सकता है। ये सुनने के बाद महिषासुर ने ब्रह्मा से वरदान मांगते हुए कहा कि" मेरी मृत्यु न किसी देवता के हाथ से हो न असुर के हाथ से हो यदि हो तो किसी स्त्री के हाथ से ही हो।" महिषासुर की यह बात ब्रह्मा ने मां ली और तथास्तु कहकर चले गए।

इसके बाद महिषासुर एक शक्तिशाली राक्षस बन गया उसने देवताओं पर आक्रमण करने शुरू कर दिये। सभी देवताओं ने महिषासुर का एकजुट होकर सामना किया जिसमें शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया परंतु महिषासुर के हाथों से सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और महिषासुर के विनाशकारी कार्य जारी रहे। तब महिषासुर से रक्षा के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ मिलकर आदि शक्ति की आराधना की जिसके बाद एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण किया। देवी दुर्गा को देखकर महिषासुर मोहित हो गया व उससे विवाह करने को कहने लगा इस प्रस्ताव को दुर्गा ने स्वीकार भी किया परंतु उसके लिए एक शर्त रख दी कि पहले महिषासुर को उससे लड़ाई में जीतना होगा, महिषासुर ने इसे स्वीकार कर लिया। फिर लड़ाई शुरू हुई जो नौं दिन तक चली दसवें दिन दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। माँ दुर्गा की महिषासुर पर हुई इस जीत के कारण नौं दिनों का पर्व नवरात्रि मनाया जाता है। इन नौं दिनों में दुर्गा के सभी शक्ति रूपों की पूरी श्रद्धा भक्ति से आराधना की जाती है।

नवरात्रि 2020: महत्व और मनाने के तरीके

नवरात्रि को मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में मनाया जाता है लेकिन दक्षिण व उत्तर पूर्वी राज्यों के लोग भी इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। भारत के अलग-अलग राज्यों में माता की पूजा के नाम व मनाने के तरीके अलग-अलग होते हैं लेकिन मूल एक ही रहता है "माँ की भक्ति"। सभी अपनी अपनी परंपरा और रीति रिवाजों के अनुसार पूजा पाठ करतें हैं कहीं इसे बेहद शांतिमय वातावरण में मनाया जाता है तो कही ढोल नगाड़ों के साथ नाच गा कर लोग भक्ति में खो जातें हैं। पश्चिम बंगाल, गुजरात, तमिलनाडु में इस त्यौहार की छटा देखते ही बनती है।

नवरात्रि 2020: गुजरात में इस तरह मनायी जाती है नवरात्रि

गुजरात में इस मौके पर सामूहिक गरबा खेलने का आयोजन किया जाता है जिसमें लोग रंग - बिरंगे चमकते वस्त्र, आभूषण पहनकर एक दूसरे के साथ नाचते गाते हैं। नवरात्रों के दौरान किये जाने वाले इस खास नृत्य को गरबा कहा जाता है। गरबा खेलने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। माता के भजन पर पूरे जोश के साथ इस आध्यात्मिक पर्व का आनंद उठाते हैं। गुजरात के लोगों को पूरे साल नवरात्रों का इंतजार रहता है। गरबा खेलने के बहाने सभी को एक दूसरे से मिलने जुलने, मेल मिलाप बढाने, रिश्तों में मिठास बढ़ाने का भी मौका मिलता है। सजी धजी स्त्रियां, डांडिया नृत्य, संगीत में एक अलग चमक बिखेर देती हैं।

नवरात्रि 2020: पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के मौके पर होता है ऐसा आयोजन

पश्चिम बंगाल में बड़े-बड़े पंडाल लगाए जाते हैं जिसमें माँ दुर्गा की बड़ी-बड़ी मूर्तियां स्थापित की जाती हैं, पूरे पंडाल को फूलों, लड़ियों से सजाया जाता है। इन पंडालों में लोग रोज़ सुबह शाम एकत्रित होकर भजन कीर्तन करतें हैं। यहां तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाये जाते है क्योंकि पश्चिम बंगाल में नवरात्रि को अच्छा पहनने व अच्छा खाने का त्यौहार माना जाता है। इस समय लोग अच्छे से अच्छा खाते हैं व रोज़ नए-नए वस्त्र पहनते हैं। नवरात्रि के आखरी दिन यहां गुलाल/रंग खेल मनाया जाता है। जिसमें स्त्रियां एक दूसरे को गुलाल लगतीं हैं।

नवरात्रि 2020: उत्तर भारत के अन्य राज्यों में ऐसे मनायी जाती है नवरात्रि

उत्तर भारत के राज्यों में इन नौ दिनों लोग अपने घरों को साफ सुथरा रखते हैं। साथ ही प्याज़, लहसून, मीट, अंडा व मदिरापान से परहेज़ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति इन नौ दिनों मे सीधा और सरल जीवन अपनाता है तो उसे उसका काफी लाभ मिलता है। नवरात्रि के नोवें दिन कन्या पूजन किया जाता है जिसमें हलवा, पूरी, चने, सब्ज़ी, बताशे, नारियल, मिश्री आदि का भोग लगाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा होता है इस दिन लोग मूर्ति विसर्जन करतें हैं।

नवरात्रि 2020: नौं दिनों का महत्व

नवरात्रि का त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता है इन नौ दिनों में माँ के नौ अलग-अलग रूपों को पूजा जाता है। हर एक दिन माँ के एक रूप को समर्पित होता है। भक्तजन घटस्थापना करके नौ दिनों तक माँ की विधिपूर्वक आराधना करतें हैं। घरों और मंदिरों में कीर्तन भजन किये जातें हैं।

• नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री का होता है।इस दिन उनकी पूजा की जाती है। शैलपुत्री, माता पार्वती का ही दूसरा रूप है। इन्हें हिमालय राज की पुत्री भी कहा जाता है। शक्ति व कर्म इनके प्रतीक हैं। इनके बाएं हाथ मे कमल व दाएं हाथ मे त्रिशूल होता है।

• नवरात्रि के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है जब माता पार्वती अविवाहित थी तब उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा जाता था मतलब यह दिन भी माता पार्वती का होता है। माँ शांति व सकारात्मकता का प्रतीक है। इस देवी का रूप अत्यंत तेज व ज्योतिर्मय होता है। इनके बाएं हाथ मे जपमाला व बाएं हाथ मे कमण्डल होता है।

• नवरात्रि का तीसरा दिन माँ चंद्रघंटा को समर्पित होता है। पौराणिक कथा के अनुसार जब माँ पार्वती और शिव का विवाह हो रहा था तब पार्वती का यह नाम पड़ा था। इस दिन पीले वस्त्र धारण किये जाते हैं क्योंकि माँ चंद्रघंटा को पीला रंग बहुत पसंद था। पिला रंग साहस का प्रतीक होता है।

• नवरात्रि का चौथा दिन माँ कुष्मांडा का होता है। इस दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी पर होने वाली हरियाली माँ के इसी रूप के कारण है। इसलिए इस दिन हरे कपड़े पहनना शुभ होता है। माँ कुष्मांडा की सवारी शेर है व उनकी आठ भुजाएं हैं।

• नवरात्रि का पांचवां दिन माँ स्कंदमाता को समर्पित होता है। माँ आने पुत्र को लेकर शेर की सवारी करतीं हैं। भगवान कार्तिकेय का नाम स्कंद भी है। माता की चार भुजाएं होतीं है इस दिन ग्रे कपड़े पहनना अच्छा माना जाता है।

• नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। माँ कात्यायनी को साहस, शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वह शेर की सवारी करती हैं व उनकी चार भुजाएं हैं। इस दिन केसरिया रंग का बड़ा महत्व होता है।

• इन नौं दिनों का सातवां दिन माँ कालरात्रि को समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि जब माँ कालरात्रि ने शुभ - निशुंभ दोनों राक्षसों का वध किया था तब उनका रंग काला पड़ गया था लेकिन इस दिन सफेद रंग का बड़ा महत्व होता है इस दिन सफेद रंग के वस्त्र पहने जाते हैं।

• नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन गुलाबी रंग के वस्त्र धारण किये जाते हैं। माता का यह रूप ज्ञान की देवी और शांति का प्रतीक होता है।

• माँ सिद्धिदात्री का दिन नवरात्रों में अंतिम दिन होता है। माँ की चार भुजाएं होतीं हैं और वह कमल के फूल पर विराजमान होतीं हैं। इस दिन सच्चे मन से पूजा करने वाले को सिद्धि की प्राप्ति होती है इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री माँ कहा जाता है।

नौं दिन पूरे होने के बाद दसवें दिन माता की मूर्ति की पूजा करके उन्हें नदी या तालाबों में विसर्जित कर दिया जाता है।

नवरात्रि 2020: पूजा विधि व सामग्री

नवरात्रि में पूजा करने का अच्छा फल/लाभ तभी प्राप्त होता है जब पूजा को पूरे विधि विधान के साथ किया जाए। समय के अनुसार शुभ मुहुर्त में विधि से घटस्थापना करके नवरात्रि की पूजा आरम्भ करने का बड़ा महत्व होता है। भारत के अलग-अलग हिस्सों में पूजा विधि, सामग्री, तरीका व शुभ मुहुर्त अलग-अलग हो सकतें है लेकिन नवरात्रि के आरंभ होने का दिन एक ही रहता है। मंदिरों में बड़े-बड़े कार्यक्रमों में माता की मूर्ति स्थापित करके प्रसाद बांटकर, हवन, पूजा पाठ किया जाता है। लोग अपने अपने घरों व मंदिरों में कीर्तन करते हैं। जिनमें माता को प्रसाद का भोग लगाया जाता है। पूजा के बाद गरीबों में खाना व कपड़े बाँटे जाते हैं। नवरात्रि पर पूजा आरंभ करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

• सुबह उठकर साफ पानी से स्नान करके साफ सुथरे कपड़े पहनने चाहिए।

• मंदिर को साफ करें, माता के पुराने वस्त्र बदलें व नए वस्त्र पहनाएं।

• मंदिर के आस-पास की जगह को भी साफ सुथरा रखें, चप्पल जूते पहनकर वहां न जाएं।

• पूजा की थाली सजाएं, सभी आवश्यक सामग्री उसमें रखें।

• कलश की स्थापना करें।

• सबसे पहले कलश में गंगा जल भरें उसके मुख पर आम की पत्तियां लगाकर लाल कपड़े में लिपटा नारियल उसमें रख दें।

• कलश के नीचे चावल रखें।

• मंदिर के साथ पूरे घर में गंगाजल छिड़कें व धूप जलाएं।

• नौ दिन तक माता के सभी रूपों की मंत्र जाप करके पूजा करें व नोवें दिन कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराएं।

हम उम्मीद करते हैं कि नवरात्रि पर दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी। नवरात्रि की आपको हार्दिक शुभकामनायें।