मुंडन मुहूर्त 2019 के माध्यम से जानें वर्ष 2019 में मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ दिन, एवं मुंडन संस्कार की धार्मिक मान्यता के बारे में।
मुंडन मुहूर्त 2019 | ||||
दिनांक | दिन | तिथि | नक्षत्र | समय |
21 जनवरी 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | पुष्य नक्षत्र में | 07:14 - 10:46 बजे तक |
25 जनवरी2019 | शुक्रवार | पंचमी | उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में | 16:25 - 18:18 बजे तक |
30 जनवरी2019 | बुधवार | दशमी | अनुराधा नक्षत्र में | 16:40 - 18:59 बजे तक |
31 जनवरी2019 | गुरुवार | एकादशी | ज्येष्ठा नक्षत्र में | 09:10 - 17:02 बजे तक |
06 फरवरी 2019 | बुधवार | द्वितीया | शतभिषा नक्षत्र में | 07:07 - 09:53 बजे तक |
07 फरवरी 2019 | गुरुवार | तृतीया | शतभिषा नक्षत्र में | 07:06 - 12:09 बजे तक |
11 फरवरी 2019 | सोमवार | षष्ठी | अश्विनी नक्षत्र में | 07:03 - 18:12 बजे तक |
15 फरवरी 2019 | शुक्रवार | दशमी | मृगशिरा नक्षत्र में | 07:27 - 20:13 बजे तक |
04 मार्च 2019 | सोमवार | त्रयोदशी | श्रवण नक्षत्र में | 06:44 - 16:29 बजे तक |
19 अप्रैल 2019 | शुक्रवार | पूर्णिमा | चित्रा नक्षत्र में | 06:02 - 16:42 बजे तक |
29 अप्रैल 2019 | सोमवार | दशमी | शतभिषा नक्षत्र में | 05:43 - 08:51 बजे तक |
02 मई 2019 | गुरुवार | त्रयोदशी | उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में | 13:02 - 19:50 बजे तक |
09 मई 2019 | गुरुवार | पंचमी | आर्द्रा नक्षत्र में | 15:17 - 19:00 बजे तक |
10 मई 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | पुनर्वसु नक्षत्र में | 05:34 - 19:06 बजे तक |
16 मई 2019 | गुरुवार | द्वादशी | हस्त नक्षत्र में | 08:15 - 19:08 बजे तक |
20 मई 2019 | सोमवार | द्वितीया | ज्येष्ठा नक्षत्र में | 05:28 - 20:58 बजे तक |
24 मई 2019 | शुक्रवार | षष्ठी | उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में | 07:30 - 20:42 बजे तक |
30 मई 2019 | गुरुवार | एकादशी | रेवती नक्षत्र में | 05:24 - 16:38 बजे तक |
31 मई 2019 | शुक्रवार | द्वादशी | अश्विनी नक्षत्र में | 17:17 - 20:15 बजे तक |
06 जून 2019 | गुरुवार | तृतीया | पुनर्वसु नक्षत्र में | 05:23 - 09:55 बजे तक |
07 जून 2019 | शुक्रवार | चतुर्थी | पुष्य नक्षत्र में | 07:38 - 18:56 बजे तक |
12 जून 2019 | बुधवार | दशमी | हस्त नक्षत्र में | 06:06 - 19:28 बजे तक |
17 जून 2019 | सोमवार | पूर्णिमा | ज्येष्ठा नक्षत्र में | 05:23 - 10:43 बजे तक |
हर बच्चे का जन्म उनके माता-पिता के लिए भगवान का एक आशीर्वाद है। बच्चे का जन्म परिवार में खुशी की लहर लाता है। जिसके बाद ही हर माता-पिता अपने परिवार के भविष्य की सफल योजना बनाना शुरू कर देते हैं। शिशु के जन्म के साथ ही परिवार के सभी सदस्यों पर कई प्रकार की जिम्मेदारियाँ भी आती है। शिशु के अच्छे भविष्य के लिए उसे सही तरह से पोषित करना हर सदस्य का कर्तव्य होता है। इसके अलावा हिंदू परंपराओं के अनुसार भी सदस्यों को बच्चे के जन्म के साथ कई तरह की अन्य जिम्मेदारियां मिलती हैं, जिसमें से मुंडन संस्कार भी एक ऐसी ही जिम्मेदारी है। इसलिए ही हिन्दू शास्त्रों में मुंडन को शुभ मुहूर्त के भीतर किया जाना अनिवार्य बताया गया है ताकि भविष्य में इसके अच्छे नतीजे मिलें।
हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कारों का महत्व बताया गया हैं, इन्ही 16 हिंदू संस्कारों में से मुंडन आठवें स्थान पर आता हैं। मुंडन एक बच्चे के सिर से बालों को हटाने की प्रक्रिया को कहते है। मुंडन एक बेहद लोकप्रिय परंपरा है जिसे अन्य समुदायों, धर्मों और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। आमतौर पर इसे मुंडन के रूप में ही जाना जाता है। इसके अलावा इस संस्कार को चौल मुंडन, चौलकर्म और चूड़ाकर्म संस्कार आदि नामों से भी जाना जाता है।
शास्त्रों के अनुसार ये माना गया है कि एक व्यक्ति 8.4 मिलियन योनियों के बाद मनुष्य के रूप में जन्म लेता है। जिसके चलते पिछले जन्म से कुछ दोष और कई अनिष्ट तत्व जन्म के साथ नवजात शिशु के शरीर पर रह जाते है। इसके अलावा वैज्ञानिक दृष्टि से भी माँ के गर्भ के अंदर विकास के दौरान उत्पन्न हुए बाल अशुद्ध होते है। इन्हीं अशुद्धियों को दूर करने और पिछले जन्म के बुरे कर्मों से छुटकारा पाने के लिए बालक के सिर से बालों को हटाने की परंपरा निभाई जाती है। जिसे हम मुंडन संस्कार कहते हैं।
मुंडन संस्कार करने के लिए बालक की कुंडली अनुसार शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि, शुभ वार और शुभ लग्न का होना जरुरी होता है। ऐसे में आइये जानते हैं आपके बच्चे का शुभ मास, वार, तिथि, नक्षत्र, लग्न और ताराशुद्धि:
मुंडन संस्कार पुराने समय से सबसे महत्वपूर्ण संस्कार रहा है, जिसे घर पर या मंदिर में किया जा सकता है। इसके अलावा आप अपने कुल की परंपरा के अनुसार भी मुंडन संस्कार कर सकते हैं।
मुंडन संस्कार का धार्मिक महत्व होने के साथ ही अपना वैज्ञानिक महत्व भी है। मेडिकल साइंस की मानें तो ये संस्कार शिशु के दांत निकलने के समय ही किया जाता हैं। दांत निकलने की प्रक्रिया के दौरान बच्चों में कमजोरी, चिड़चिड़ापन, दस्त और उसके बाल झड़ने लगते हैं, ऐसे में मुंडन कराने से बच्चे के शरीर का तापमान सामान्य रहने में मदद मिलती है। डॉक्टर्स मुंडन की एक अन्य मुख्य वजह यह भी है कि शिशु जब मां के गर्भ में होता है तो उसके सिर के बालों में बहुत तरह की अशुद्धियाँ एवं हानिकारक तत्व लग जाते हैं जो बच्चे के जन्म के बाद धोने से भी नहीं निकल पाते हैं। इसलिए भी डॉक्टर्स जन्म के 1 साल के भीतर बच्चे का एक बार मुंडन अवश्य कराने की सलाह देते हैं। इस संस्कार को आयुर्वेद में भी बालक के कार्य बल, आयु, आरोग्य और तेज की वृद्धि के लिए बेहद ज़रूरी बताया गया है।
हम आशा करते हैं कि मुंडन मुहूर्त 2019 पर आधारित हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोकैंप की ओर से आपको शुभकामनाएँ !