वैदिक ज्योतिष में कुंडली का महत्वपूर्ण स्थान है। समान्य बोलचाल में इसे जन्म कुंडली भी कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़ तकनीकी रूप से जन्म कुंडली या जन्मपत्री किसी भी व्यक्ति के जन्म के वक्त आकाश मंडल में उदित नक्षत्र, ग्रहों की स्थिति और राशि का सचित्र वर्णन है। वहीं प्रश्न कुंडली के अंतर्गत जातक के द्वारा पूछे गए प्रश्न की कुंडली बनती है जिसे प्रश्न कुंडली (होरारी चार्ट) के नाम से भी जाना जाता है। इसमें ध्यान दिया जाता है कि जातक के द्वारा किस वक्त और किस स्थान पर सवाल पूछा गया है। इसको समय विशेष की कुंडली कहा जाता है। जन्म कुंडली की सहायता से लोगों के व्यक्तित्व उनके अतीत, वर्तमान एवं भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। इसके अलावा आप इसके द्वारा विभिन्न नक्षत्रों एवं राशियों में सूर्य, चंद्रमा तथा अन्य ग्रहों की स्थिति को भी ज्ञात कर सकते हैं।
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भारतीय परम्पराओं के अनुसार बच्चे के जन्म लेते ही माता-पिता ज्योतिषी के पास जाकर उसकी कुंडली बनाते हैं जिसे तात्कालिक कुंडली या टेवा भी कहा जाता है। अगर कुंडली बनाते वक्त ज्योतिषी इसमें कोई दोष (जैसे- मूल दोष या बालारिष्ठ आदि) निकालता है तो सही समय पर उसका उपाय किया जा सकता है। बाद में इस लघु कुंडली को आधार मानकर विस्तृत कुंडली का निर्माण किया जाता है। इसमें जातक के भविष्यफल, षोडश वर्ग एवं दोष आदि की विस्तृत गणना की जाती है। मायकुंडली पर उपलब्ध हिंदी कुंडली सॉफ्टवेयर के जरिये आप घर बैठे ही अपनी विस्तृत कुंडली बना सकते हैं और इसे तुरंत प्राप्त भी कर सकते हैं। आपको बता दें कि यह सेवा आपके लिए बिलकुल फ्री है।
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