MyKundali सूर्य ग्रहण 2021 के हमारे इस आर्टिकल में आपको वर्ष 2021 में होने वाले प्रत्येक सूर्य ग्रहण की संपूर्ण जानकारी के साथ इस बात की जानकारी प्रदान की जा रही है कि, सूर्य ग्रहण का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है? सूतक काल क्या होता है? ग्रहण के दुष्प्रभाव को खत्म करने के लिए या कम करने के लिए हमें कौन से उपाय करने चाहिए? साथ ही यहां जाने ग्रहण की धार्मिक मान्यताएं और उसका हमारे जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव और ग्रहण को कैसे देखें इस बात की भी जानकारी आपको इस आर्टिकल में प्रदान की जा रही है।
सबसे पहले बात करते हैं सूर्य ग्रहण होता क्या है? यूं तो आधुनिक विज्ञान में सूर्य ग्रहण को हमेशा एक खगोलीय घटना माना गया है लेकिन, वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले छोटे-बड़े परिवर्तन के साथ देखकर जोड़ा जाता है। जैसे ही जिक्र होता है ग्रहण का लोगों की मन में डर छा जाता है कि ग्रहण यानी जीवन पर कुछ बुरा प्रभाव, लेकिन क्या वाकई में ऐसा है? क्या ग्रहण अशुभ परिणाम ही प्रदान करते हैं? आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं इन सभी सवालों का जवाब और ग्रहण का महत्व, और वेद पुराण पुराणों में ग्रहण के बारे में की गई व्याख्यान के बारे में भी।
सूर्य ग्रहण उस खगोलीय घटना को कहा जाता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है। ऐसी स्थिति में सूर्य कभी पूरी तरह से तो कभी आंशिक रूप से आच्छादित होता नजर आता है। पृथ्वी जैसे सूर्य की परिक्रमा करती है, वैसे ही चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है। ऐसे में जब इस परिक्रमा के दौरान चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है तो इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य की रोशनी को आंशिक रूप से और कभी पूर्ण रूप से अपने पीछे ढक लेता है और पृथ्वी पर पहुंचने से रोक देता है। इस समय पृथ्वी पर अंधकार छा जाता है और इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
अब अगर बात करें 2021 में कब-कब होगा सूर्य ग्रहण और इसके समय की तो, वर्ष 2021 में सूर्य-ग्रहण की घटना दो बार होने जा रही है।
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दिनांक | सूर्य ग्रहण प्रारंभ | सूर्य ग्रहण समाप्त | यहाँ आएगा नज़र |
10 जून 2021 | 13:42 बजे से | 18:41 बजे तक | उत्तरी अमेरिका के उत्तरी भाग, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और रुस में पूर्ण |
4 दिसंबर 2021 | 10:59 बजे से | 15:07 बजे तक | अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, अटलांटिक के दक्षिणी भाग, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका |
सूचना: उपरोक्त तालिका में दिया गया समय भारतीय समयानुसार है। ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए भारत में इस सूर्य ग्रहण का धार्मिक प्रभाव और सूतक मान्य नहीं होगा।
ऋग्वेद में पांचवें मंडल के 40 वें सूक्त के मंत्रों में सूर्य ग्रहण के बारे में दी गई जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि, जब असुर राहु पृथ्वी और सूर्य के बीच आया था गया था, इस स्थिति में पृथ्वी पर अंधेरा छा गया था। तब महर्षि अत्रि ने वेदों मंत्रों के उच्चारण से उस अंधकार को दूर किया था। इसके अलावा सामवेद के पंचविंश ब्राह्मण में भी सूर्य ग्रहण के महत्व का उल्लेख मिलता है।
पुराणों में सूर्य ग्रहण के उल्लेख के बारे में जो कथा दी गई है उसके अनुसार, समुद्र मंथन से निकले अमृत को पीने के लिए देवताओं और असुरों में युद्ध छिड़ गया था। इस स्थिति में भगवान विष्णु ने देवताओं और असुरों को अलग-अलग पंक्तियों में बैठने को कहा और देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया। इसी बीच राक्षस स्वर भानु भेष बदलकर देवताओं की पंक्ति में आ बैठा और अमृत पीने लगा। इस बात की भनक जब भगवान विष्णु को लगी तो उन्होंने क्रोध में आकर अपने सुदर्शन चक्र से स्वर भानु का सर धड़ से अलग कर दिया।
हालांकि तब तक स्वर भानु ने अमृत पान कर लिया था। ऐसे में उसकी मृत्यु तो नहीं हुई। स्वर भानु का शरीर और सिर को ही राहु और केतु माना जाता है। बताया जाता है कि इसी प्रतिशोध के चलते हर साल राहु केतु सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते हैं।
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महाभारत में भी सूर्य ग्रहण का उल्लेख मिलता है। बताया जाता है कि, महाभारत का युद्ध कुल 18 दिनों तक चला था। इस दौरान तीन ग्रहण होने से महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था। युद्ध में अर्जुन ने इस बात की प्रतिज्ञा ली थी कि, वह सूर्यास्त होने से पहले जयद्रथ को मार देंगे, अन्यथा वे खुद ही अग्नि समाधि ले लेंगे। ऐसी स्थिति में कौरवों ने जयद्रथ को बचाने के लिए एक सुरक्षा घेरा बना लिया। हालांकि उस दिन सूर्य ग्रहण होने की वजह से हर जगह अंधेरा हो गया। तब जयद्रथ खुद अर्जुन के सामने आए और उन्होंने कहा, ‘अब सूर्यास्त हो गया है अब अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार आप अग्नि समाधि ले लीजिए’ लेकिन, इसी बीच ग्रहण खत्म हो गया और सूर्य पुनः चमकने लगा, तब अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया था।
ज्योतिष की दुनिया में एक ग्रहण का बेहद महत्व माना जाता है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि, सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलता है। इसके अलावा कुछ ज्योतिषियों का ऐसा भी मत है कि, यदि किसी एक साल में 3 या उससे ज्यादा ग्रहण लगते हैं तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। ऐसी स्थिति में प्राकृतिक आपदाएं होने की या फिर सत्ता परिवर्तन होने की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा ऐसी स्थिति में देश में रहने वाले व्यक्तियों को नुकसान उठाना पड़ता है, बीमारियाँ बढ़ सकती हैं और देश की आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव की स्थिति भी बनने लगती है।
यहां गौर करने वाली बात है कि, सूर्य ग्रहण के दौरान जो किरणें निकलती हैं उनका नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति के स्वास्थ्य पर देखने को मिलता है। ऐसे में ज्योतिषीय मान्यताओं की सत्यता इस आधार पर मजबूत हो जाती है। यही वजह है जिसके चलते सूर्य ग्रहण के दौरान सूर्य देव की या अपने इष्ट देवों की पूजा अर्चना का महत्व बताया गया है। साथ ही इस समय तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का भी बेहद महत्व होता है।
अब बात करें सूर्य ग्रहण के वैज्ञानिक पहलुओं की तो, विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना गया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि, जब चंद्रमा अपने भ्रमण के दौरान घूमते-घूमते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, इस स्थिति में सूर्य की चमक चंद्रमा के पीछे छुप जाती है और पृथ्वी तक नहीं आ पाती तब इसे ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है।
बात करें अगर सूर्य ग्रहण के प्रकार की तो, सूर्य ग्रहण कुल तीन प्रकार के होते हैं। पहला, पूर्ण सूर्य ग्रहण, यह उस स्थिति को कहते हैं जब, चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस प्रकार आ जाए कि, सूर्य का प्रकाश चंद्रमा से पूरी तरह ढक जाए और पृथ्वी पर बिल्कुल भी प्रकाश ना पहुंचे। इसके बाद दूसरा सूर्य ग्रहण होता है, आंशिक या खंड सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब, चंद्रमा सूर्य के आगे आकर उसे ढक लेता है लेकिन, इसमें सूर्य का कुछ ही प्रकाश चंद्रमा से ढकता है। इसके बाद तीसरा सूर्य ग्रहण होता है, वलयाकार सूर्य ग्रहण, इस स्थिति में चंद्रमा सूर्य के सामने आते हुए उसे इस प्रकार ढकता है कि, सूर्य बीच में पूरा ढका हुआ प्रतीत होता है लेकिन, किनारों से रोशनी एक रिंग (अंगूठी-नुमा रोशनी) के आकार में दिखाई देती है। इस स्थिति को वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।
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ग्रहण लगने से पहले कुछ समय के लिए के समय को सूतक काल माना जाता है। सनातन धर्म में सूतक काल की व्याख्यान के अनुसार सूतक का समय व अशुभ समय होता है जब पृथ्वी पर दुष्प्रभाव सबसे अधिक होते हैं। ऐसे में सूतक काल के दौरान ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कुछ विशेष सावधानियां बरतनी होती हैं। साथ ही कुछ उपाय भी बताए गए हैं जिन्हें अपनाकर आप ग्रहण के प्रभाव से खुद को और अपने परिवार के लोगों को बचा सकते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य ग्रहण से चार पहर पहले से उसका सूतक माना जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि एक दिन में कुल आठ पहर होते हैं। ऐसे में सूर्य ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है और ग्रहण समाप्त होने के साथ ही सूतक काल भी समाप्त हो जाता है।
जैसा कि, हमने पहले भी बताया कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य ही देखने को मिलता है। ऐसे में इसी लिहाज से कुछ ऐसे काम सूर्य ग्रहण के दौरान करने वर्जित माने गए हैं जिनका दुष्प्रभाव आपके जीवन पर हो सकता है। आइए जानते हैं क्या है वो काम:
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जैसे सूतक काल के दौरान कुछ काम करने वर्जित माने गए हैं, ठीक उसी प्रकार से कुछ ऐसे शुभ काम भी बताए गए हैं जिन्हें करने से आप सूतक काल और ग्रहण के दुष्प्रभावों को अपने जीवन से खत्म या कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है वह कार्य:
इसके अलावा सूतक काल के दौरान सबसे ज्यादा सतर्क और ध्यान देने की सलाह गर्भवती महिलाओं को दी जाती है क्योंकि, इस दौरान की गई कोई भी लापरवाही का सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ सकता है। ऐसे में गर्भवती महिलाएं विशेषकर इन बातों का ध्यान रखें। गर्भवती महिलाओं को सूतक काल और सूर्य ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। उन्हें ग्रहण देखने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा इस दौरान सिलाई, कढ़ाई, काटने, छीलने जैसे कामों को करने से बचना चाहिए। कोई भी नुकीली वस्तु जैसे चाकू, सुई, तलवार, चाकू इत्यादि का उपयोग ना करें।
सूर्य ग्रहण को लेकर डॉक्टरों, ज्योतिषों, बड़े-बुजुर्गों सबकी एक ही धारणा है जिसके अनुसार कहा जाता है कि, कभी भी ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि, सूर्य ग्रहण को आप कैसे देख सकते हैं?
जमाना बेहद ही आगे बढ़ चुका है और आज के समय में यदि आप चश्मे, फिल्टर, टेलीस्कोप इत्यादि का इस्तेमाल किए बिना भी सूर्य ग्रहण को देखना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास दो और विकल्प मौजूद है जिसमें आता है पहला, इंटरनेट लाइव स्ट्रीमिंग, जहां पर सूर्य ग्रहण का लाइव टेलीकास्ट होता है। या फिर दूसरा विकल्प है, कुछ एप्स जिनमें आप घर बैठे सूर्य ग्रहण का नज़ारा देख सकते हैं।
पहला ऐप, नासा: नासा के इस ऐप में आप लाइव वीडियो स्ट्रीमिंग के जरिए सूर्य ग्रहण देख सकते हैं।
इसके अलावा दूसरा ऐप है स्मिथसोनियन एक्लिप्स 2017: अगर आप पूर्ण सूर्य ग्रहण की लोकेशन से दूर है और फिर भी इसका नज़ारा लेना चाहते हैं तो यह ऐप आपकी मदद कर सकता है। इस ऐप में आप को इस बात की जानकारी दी जाती है कि, आप अपनी लोकेशन से ग्रहण का कितना हिस्सा देख पाएंगे।
तीसरा ऐप, एक्लिप्स सफारी: इस ऐप में आप को ग्रहण से जुड़ी सारी अपडेट, ग्रहण देखने के लिए उचित गाइडलाइंस, और ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग इत्यादि सेवाएं प्रदान की जाती है।
बता दे यहां दिए गए तीनों ऐप एन्ड्रॉयड और आईओएस दोनों में उपलब्ध हैं। ऐसे में आप बिना अपनी आंखों को कष्ट दिए घर से सूर्य ग्रहण का लुफ्त उठा सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि सूर्य ग्रहण पर लिखा गया हमारा ये लेख आपके लिए सहायक साबित हुआ होगा। नया साल आपके लिए मंगलमय हो इसी कामना के साथ हमारे साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।